Loading...

Welcome to ePadosi: Your Bay Area Desi Neighborhood

Discover the vibrant Indian community in the Bay Area through ePadosi. Connect with like-minded individuals, share cultural experiences, and stay informed about community gatherings. Whether you're a long-time resident or a newcomer, ePadosi is your one-stop solution for All Things Desi in the USA.

Add Your Classifieds for Free on ePadosi.com

Got something to sell or rent? Share it with your neighborhood hassle-free on ePadosi.com! From selling your old furniture to promoting your local services, ePadosi makes it easy to reach the right audience.

Browse Local Desi Businesses by Category

Add Your Business for Free on ePadosi.com

Put your business in the spotlight! Join ePadosi.com and showcase your products or services to a local audience. Whether you're a small shop or a big enterprise, ePadosi helps you connect with desi customers nearby.

Add Your Job for Free on ePadosi.com

Unlock endless opportunities! Post your job openings on ePadosi.com and connect with qualified candidates in your area. Whether you're hiring for your business, organization, or community project, find the perfect fit effortlessly.

Explore Latest Content

भक्ति

रामचंद्रजी की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

भक्ति

श्री हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥

कविता

चंद्रकांत देवताले की कविता 'शब्दों की पवित्रता के बारे में'

रोटी सेंकती पत्नी से हँसकर कहा मैंने
अगला फुलका बिल्कुल चंद्रमा की तरह बेदाग़ हो तो जानूँ
उसने याद दिलाया बेदाग़ नहीं होता कभी चंद्रमा

तो शब्दों की पवित्रता के बारे में सोचने लगा मैं
क्या शब्द रह सकते हैं प्रसन्न या उदास केवल अपने से
वह बोली चकोटी पर पड़ी कच्ची रोटी को दिखाते
यह है चंद्रमा जैसी दे दूँ इसे क्या बिना ही आँच दिखाए

अवकाश में रहते हैं शब्द शब्दकोश में टँगे नंगे अस्थिपंजर
शायद यही है पवित्रता शब्दों की
अपने अनुभव से हम नष्ट करते हैं कौमार्य शब्दों का
तब वे दहकते हैं और साबित होते हैं प्यार और आक्रमण करने लायक़

मैंने कहा सेंक दो रोटी तुम बढ़िया कड़क चुंदड़ी वाली
नहीं चाहिए मुझको चंद्रमा जैसी।

साहित्य

मशहूर अफ़सानानिगार सआदत हसन मंटो के अफ़्साने

घाटे का सौदा

दो दोस्तों ने मिल कर दस-बीस लड़कियों में से एक लड़की चुनी और बयालिस रुपये दे कर उसे ख़रीद लिया।
रात गुज़ार कर एक दोस्त ने उस लड़की से पूछा, तुम्हारा नाम क्या है?
लड़की ने अपना नाम बताया तो वो भिन्ना गया। हम से तो कहा गया था कि तुम दूसरे मज़हब की हो।
लड़की ने जवाब दिया, "उस ने झूट बोला था।

ये सुन कर वह दौड़ा दौड़ा अपने दोस्त के पास गया और कहने लगा,
इस ने हमारे साथ धोका किया है हमारे ही मज़हब की लड़की थमा दी... चलो वापस कर आएँ।
उलाहना
देखो यार। तुम ने ब्लैक मार्केट के दाम भी लिए और ऐसा रद्दी पेट्रोल दिया कि एक दुकान भी न जली।

पेश-बंदी
पहली वारदात नाके के होटल के पास हुई। फ़ौरन ही वहां एक सिपाही का पहरा लगा दिया गया।

दूसरी वारदात दूसरे ही रोज़ शाम को स्टोर के सामने हुई। सिपाही को पहली जगह से हटा कर दूसरी वारदात के मक़ाम पर मुतअय्यन कर दिया गया।

तीसरा केस रात के बारह बजे लांड्री के पास हुआ। जब इन्सपेक्टर ने सिपाही को इस नई जगह पहरा देने का हुक्म दिया तो उसने कुछ ग़ौर करने के बाद कहा,

मुझे वहां खड़ा कीजिए जहां नई वारदात होने वाली है।

सदक़े उसके
मुजरा ख़त्म हुआ, तमाशाई रुख़्सत हो गए तो उस्तादी जी ने कहा,

सब कुछ लुटा पिटा कर यहां आए थे लेकिन अल्लाह मियां ने चंद दिनों में ही वारे न्यारे कर दिए।

सफ़ाई पसंद
गाड़ी रुकी हुई थी। तीन बंदूक़्ची एक डिब्बे के पास आए।

खिड़कियों में से अंदर झांक कर उन्हों ने मुसाफ़िरों से पूछा,

क्यूं जनाब कोई मुर्ग़ा है।

एक मुसाफ़िर कुछ कहते कहते रुक गया। बाक़ियों ने जवाब दिया,

जी नहीं।

थोड़ी देर के बाद चार नेज़ा बर्दार आए। खिड़कियों में से अंदर झांक कर उन्हों ने मुसाफ़िरों से पूछा,

क्यूं जनाब कोई मुर्ग़ा है।

उस मुसाफ़िर ने जो पहले कुछ कहते कहते रुक गया था जवाब दिया,

जी मालूम नहीं आप अंदर आ के संडास में देख लीजिए।

नेज़ा बर्दार अंदर दाख़िल हुए। संडास तोड़ा गया तो उसमें से एक मुर्ग़ा निकल आया।

एक नेज़ा बर्दार ने कहा,

कर दो हलाल।

दूसरे ने कहा,

नहीं यहां नहीं। डिब्बा ख़राब हो जाएगा बाहर ले चलो।

ख़बरदार
बलवाई मालिक मकान को बड़ी मुश्किलों से घसीट कर बाहर ले आए।

कपड़े झाड़ कर वो उठ खड़ा हुआ और बलवाइयों से कहने लगा,
तुम मुझे मार डालो लेकिन ख़बरदार जो मेरे रुपये पैसे को हाथ लगाया।

View All
The ePadosi Newsletter

For your daily Desi stories and Gup Shup!

news letter
By subscribing you agree to our Privacy Policy.